हरम में भरे बदन वाली महिलाओं से ये काम करवाते थे मुगल बादशाह, पूरा किस्सा जानकर तो लगेगा झटका
Mughal Emperor : मुगल साम्राज्य में हरम का एक विशेष स्थान था जहाँ केवल शासक और उनके परिवार से जुड़ी महिलाएँ ही रह सकती थीं। यह स्थान न केवल रानियों और बेगमों का आश्रय था बल्कि यहाँ पर सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित महिलाएँ भी तैनात थीं। इनमें से अधिकांश महिलाएँ उज्बेकिस्तान या अफ्रीकी देशों से लाई जाती थीं और इनका चयन उनके भरे बदन और सैन्य कुशलता के आधार पर किया जाता था। इन महिलाओं की कद-काठी एशियाई महिलाओं से काफी अलग होती थी जिससे उन्हें हरम में एक खास भूमिका निभाने का मौका मिलता था।
मुगल शासकों की हरम में इन महिलाओं की बड़ी अहमियत थी क्योंकि ये न केवल भौतिक रूप से आकर्षक होती थीं बल्कि उनकी भूमिका हरम की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण होती थी। इनका कद और शक्ति उन्हें न केवल रानियों के लिए एक संरक्षक बनाती थी बल्कि वे बगावत करने वाली रानियों को नियंत्रित करने में भी सक्षम थीं।
हरम में तैनात इन विदेशी महिलाओं को बाउंसर के तौर पर काम करना पड़ता था। उनकी मुख्य जिम्मेदारी हरम में शांति बनाए रखना और षड्यंत्रों को रोकना था। मुगल हरम अपने आप में एक छोटा संसार था जहाँ विभिन्न प्रकार की महिलाएँ रहती थीं। यहाँ रानियों बेगमों और दासियों के बीच कभी-कभी प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या का माहौल बन जाता था। ऐसे में ये विदेशी महिलाएँ अपनी सैन्य प्रशिक्षण और ताकत के बल पर हरम में अनुशासन और सुरक्षा बनाए रखने में सहायक होती थीं।
इन महिलाओं को कठोर सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता था ताकि वे किसी भी आपात स्थिति से निपट सकें। जब भी हरम में किसी प्रकार की बगावत या विवाद होता तो ये महिलाएँ तुरन्त सक्रिय हो जातीं और स्थिति को नियंत्रण में लातीं। इनके वार से बचना बेहद मुश्किल होता था और वे पल भर में दुश्मन को चित करने में सक्षम थीं।
हरम में ये महिलाएँ रानियों और बेगमों के सीधे संपर्क में रहती थीं। उनकी उपस्थिति रानियों के लिए सुरक्षा का एक मजबूत कवच साबित होती थी। इनके बिना हरम का संचालन करना लगभग असंभव था। वे रानियों की हर गतिविधि पर नजर रखती थीं और उन्हें हर प्रकार की आंतरिक और बाहरी खतरों से सुरक्षित रखती थीं।
यह एक जिम्मेदारी थी क्योंकि मुगल हरम की राजनीति में हर एक कदम सोचा-समझा होता था। षड्यंत्र विश्वासघात और सत्ता संघर्ष यहाँ की सामान्य घटनाएँ थीं। ऐसे में इन विदेशी महिलाओं की भूमिका हरम की आंतरिक सुरक्षा और शांति बनाए रखने में बहुत ही अहम हो जाती थी।
हरम में सुरक्षा और पहरे का निर्धारण भी इन्हीं महिलाओं के हाथ में होता था। वे तय करती थीं कि कहां कितना पहरा रहेगा और किस प्रकार से सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी। यह काम अत्यधिक संवेदनशील था क्योंकि किसी भी चूक से शासक और उनकी परिवार की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती थी।
हरम में इन महिलाओं की संख्या सीमित थी लेकिन उनकी उपस्थिति का प्रभाव बहुत बड़ा था। वे अपनी कुशलता और शक्ति से हरम में शांति बनाए रखती थीं और किसी भी प्रकार की बगावत या षड्यंत्र को जन्म लेने से पहले ही समाप्त कर देती थीं।
विदेश यात्री मनूची और फ्रांसीसी चिकित्सक फ्रांस्वा बर्नियर ने अपनी किताबों में हरम में इन महिलाओं की भूमिका का विस्तार से वर्णन किया है। उनके अनुसार मुगल हरम की सुरक्षा में इन महिलाओं का योगदान बहुत महत्वपूर्ण था। वे न केवल शारीरिक रूप से सक्षम थीं बल्कि उन्हें विभिन्न प्रकार की युद्धक तकनीकों में भी निपुणता हासिल थी।