लगातार बढ़ रही गेहूं की कीमतें, किसानों और उपभोक्ताओं पर पड़ेगा सीधा असर, जानें आज क्या है नया रेट
भारत में गेहूं की कीमतों में लगातार उछाल देखा जा रहा है। सीजन की शुरुआत से ही गेहूं के रेट न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ऊपर चल रहे हैं, जिससे गेहूं उत्पादक किसानों के लिए यह समय काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। गेहूं की कीमतों में इस बढ़ोतरी के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं, जिनमें गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन, सरकार की ओपन मार्केट सेल स्कीम, और स्टॉक लिमिट जैसे सरकारी नियम शामिल हैं।
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है, लेकिन घरेलू महंगाई को काबू में रखने के लिए केंद्र सरकार ने 13 मई से गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया। इसके बावजूद, बाजार में गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं। पिछले एक साल में गेहूं और आटे के रेट कम करने के लिए सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत 100 लाख टन गेहूं फ्लोर मिलर्स और सहकारी एजेंसियों को कम दरों पर बेचा, लेकिन इसका भी बाजार पर विशेष असर नहीं दिखा।
महाराष्ट्र में गेहूं की कीमतें नया रिकॉर्ड बना रही हैं
दक्षिण और पश्चिम भारत में गेहूं के रेट सामान्यतः ज्यादा होते हैं, लेकिन हाल ही में गेहूं उत्पादक राज्यों में भी इसकी कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है। महाराष्ट्र में गेहूं के दाम रोज़ाना नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। यहां सामान्य गेहूं की कीमतें 2700 से 3600 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच चुकी हैं, जबकि शरबती गेहूं की कीमत 6000 रुपये प्रति क्विंटल को पार कर चुकी है।
शरबती गेहूं की विशेषताएँ इसे सामान्य गेहूं से अलग करती हैं। यह गेहूं स्वाद और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए इसकी कीमतें सामान्य गेहूं से लगभग दोगुनी होती हैं। महाराष्ट्र, जो गेहूं का प्रमुख उत्पादक राज्य नहीं है, वहाँ भी इतनी उच्च कीमतें होना बाजार में एक विशेष स्थिति का संकेत देती हैं।
आज का गेहूं का भाव
गेहूं की कीमतों में तेजी सिर्फ थोक बाजार तक सीमित नहीं है, बल्कि रिटेल मार्केट में भी इसका सीधा असर देखा जा रहा है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार, 05 सितंबर 2024 को देश में गेहूं का औसत दाम 32.84 रुपये प्रति किलो रहा। वहीं, अधिकतम कीमत 64 रुपये प्रति किलो और न्यूनतम कीमत 25 रुपये प्रति किलो रही। पिछले साल इसी समय गेहूं का औसत दाम 29 रुपये, अधिकतम 48 रुपये और न्यूनतम 21 रुपये था।
गेहूं आटे की बात करें तो इसी दिन आटे का औसत दाम 37 रुपये प्रति किलो रहा, जबकि अधिकतम कीमत 72 रुपये और न्यूनतम 28 रुपये प्रति किलो रही। पिछले साल इसी समय आटे का औसत दाम 33.75 रुपये, अधिकतम 65 रुपये और न्यूनतम 24 रुपये प्रति किलो था। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि पिछले एक साल में गेहूं और आटे दोनों की कीमतों में वृद्धि हुई है।
उत्तर प्रदेश में गेहूं के थोक भाव:
लखनऊ मंडी: 2650 रुपये प्रति क्विंटल
इलाहाबाद मंडी: 2545 रुपये प्रति क्विंटल
अमरोहा मंडी: 2595 रुपये प्रति क्विंटल
अलीगढ़ मंडी: 2600 रुपये प्रति क्विंटल
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्यों में भी गेहूं के भाव में स्थिरता नहीं देखी जा रही है। लगातार बदलती कीमतें किसानों और उपभोक्ताओं के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर रही हैं।
मध्यप्रदेश में गेहूं के थोक भाव:
मंदसौर मंडी: 2585 रुपये प्रति क्विंटल
नीमच मंडी: 2607 रुपये प्रति क्विंटल
रतलाम मंडी: 2515 रुपये प्रति क्विंटल
सागर मंडी: 2592 रुपये प्रति क्विंटल
मध्यप्रदेश में भी गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है। यहां के प्रमुख मंडियों में गेहूं की कीमत 2500-2600 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रह रही है।
राजस्थान में गेहूं के थोक भाव:
जयपुर (बस्सी) मंडी: 2605 रुपये प्रति क्विंटल
विजयनगर मंडी: 2740 रुपये प्रति क्विंटल
उदयपुर मंडी: 2915 रुपये प्रति क्विंटल
रानी मंडी: 2750 रुपये प्रति क्विंटल
राजस्थान में भी गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं, विशेष रूप से उदयपुर और विजयनगर जैसे इलाकों में गेहूं का रेट 2700-2900 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुका है।
बढ़ती कीमतों का प्रभाव
गेहूं और आटे की कीमतों में यह वृद्धि सीधे तौर पर किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को प्रभावित कर रही है। जहां किसानों को अपने उत्पाद की अधिक कीमत मिलने से फायदा हो रहा है, वहीं उपभोक्ता महंगे आटे और गेहूं से परेशान हैं।
सरकार ने बाजार में आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन बढ़ती मांग और निर्यात पर बैन के बावजूद, कीमतें स्थिर नहीं हो रही हैं। स्टॉक लिमिट जैसे उपाय भी बाजार पर खास असर डालते नहीं दिख रहे हैं।