Kisan Andolan Update : शंभू बॉर्डर पर किसान की आत्महत्या से आंदोलन में तनाव, डल्लेवाल का अनशन जारी
पिछले तीन हफ्तों में यह इस प्रकार की दूसरी घटना है। इससे पहले 18 दिसंबर को भी रणजोध सिंह नाम के एक किसान ने आत्महत्या की थी। किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार की तरफ से लगातार उनके मुद्दों को हल न करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) की गारंटी को लेकर कोई ठोस कदम न उठाने से किसानों में गुस्सा और हताशा बढ़ती जा रही है।
Kisan Andolan Latest Update : हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान एक और किसान ने आत्महत्या कर ली है। यह घटना गुरुवार को हुई, जब 55 वर्षीय रेशम सिंह जो तरनतारन जिले के पाहुविंड गांव के निवासी ने जहर खाकर अपनी जान दे दी। जानकारी के मुताबिक रेशम सिंह लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग ले रहे थे। किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा उनकी मांगों को नजरअंदाज किए जाने के कारण वह बेहद निराश थे।
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पिछले तीन हफ्तों में यह इस प्रकार की दूसरी घटना है। इससे पहले 18 दिसंबर को भी रणजोध सिंह नाम के एक किसान ने आत्महत्या की थी। किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार की तरफ से लगातार उनके मुद्दों को हल न करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) की गारंटी को लेकर कोई ठोस कदम न उठाने से किसानों में गुस्सा और हताशा बढ़ती जा रही है।
जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन से बढ़ा दबाव
इस घटना ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन (Hunger Strike) को और भी ज्यादा ध्यान केंद्रित कर दिया है। डल्लेवाल खनौरी बॉर्डर पर पिछले 45 दिनों से बिना भोजन के बैठे हुए हैं। उनकी तबीयत लगातार खराब हो रही है, लेकिन उन्होंने अनशन समाप्त करने से साफ इनकार कर दिया है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने उनसे मुलाकात कर स्वास्थ्य लाभ लेने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने इसे भी ठुकरा दिया।
MSP गारंटी कानून की मांग
शंभू बॉर्डर पर मौजूद किसान संगठनों की मुख्य मांग फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला कानून बनाने की है। आंदोलन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले हो रहा है। पिछले साल 13 फरवरी से किसान शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं।
पिछले साल, जब किसानों ने दिल्ली कूच करने की कोशिश की, तो उन्हें सुरक्षा बलों द्वारा रोक दिया गया था। इसके बाद से ही किसान शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं। किसान नेता तेजवीर सिंह ने बताया कि रेशम सिंह केंद्र सरकार द्वारा MSP कानून बनाने की दिशा में कोई प्रगति न होने से निराश थे।
किसानों में बढ़ रही हताशा
रेशम सिंह की आत्महत्या ने किसान आंदोलन की गंभीरता को और बढ़ा दिया है। आंदोलन स्थल पर किसानों का कहना है कि यह घटना सरकार की संवेदनहीनता को दिखाती है। किसान नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वे आंदोलनकारियों की मांगों को हल करने के बजाय उन्हें नजरअंदाज कर रही है।
आंदोलन में नई रणनीति की जरूरत
किसानों का कहना है कि सरकार के साथ बातचीत में कोई प्रगति न होने के कारण आंदोलन को लेकर नई रणनीति तैयार करनी होगी। हालांकि, जगजीत सिंह डल्लेवाल और अन्य किसान नेता अभी भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाला कानून नहीं बनाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
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किसान संगठनों की चेतावनी
इस आंदोलन के दौरान आत्महत्या की घटनाओं ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। यह देखना बाकी है कि केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन को लेकर क्या कदम उठाती है। लेकिन शंभू बॉर्डर पर किसानों की बढ़ती हताशा ने सरकार और समाज दोनों के लिए एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है।