हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की बढ़ी मुश्किलें, सरकारी कोठी बनी सिरदर्द, जानें क्या है माजरा
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इन दिनों "मुसीबतों के महासागर" में गोते लगा रहे हैं। सरकार ने उनके खिलाफ पीनल रेंट (Penal Rent) की कार्रवाई शुरू कर दी है, और ऐसा लग रहा है कि सरकारी कोठी अब उनके लिए "गले की घंटी" बन गई है।
Haryana News : दरअसल हरियाणा में अक्टूबर 2024 में नई सरकार का गठन हुआ। नियमों के अनुसार, नई सरकार के बनने के 15 दिन के भीतर सभी पूर्व मंत्रियों और विधायकों को सरकारी आवास खाली करना होता है। लेकिन हुड्डा साहब ने “घर वापसी” की बजाय सरकारी कोठी में ही “जमीन पकड़” ली।
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पुरानी सरकार में हुड्डा जी नेता प्रतिपक्ष थे, और इस पद के तहत उन्हें चंडीगढ़ के सेक्टर-7 में कोठी नंबर 70 अलॉट की गई थी। लेकिन चुनाव में हार के बाद भी उन्होंने इसे खाली नहीं किया। अब सरकार ने उनके खिलाफ 2 लाख रुपये से ज्यादा का पीनल रेंट ठोक दिया है, और यह आंकड़ा “दिन दूना, रात चौगुना” बढ़ता जा रहा है।
“15 दिन” का बहाना, 2 महीने का इंतजार
हुड्डा साहब ने दिसंबर 2024 में सरकार से “15 दिन” का समय मांगा था। उनका मानना था कि हाईकमान उन्हें फिर से नेता प्रतिपक्ष बनाएगा, और वह अपनी “पुरानी कोठी” में आराम से रह सकेंगे। लेकिन हाय रे तकदीर! ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब दो महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, और हुड्डा जी की कोठी पर सरकार का “कड़ा रुख” साफ नजर आ रहा है।
“जितना वक्त, उतना झटका”
सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो भी मंत्री या विधायक नई सरकार बनने के बाद 15 दिन में आवास खाली नहीं करता, उसके खिलाफ पीनल रेंट लगाया जाता है। इसका हिसाब भी “सॉलिड गणित” पर टिका है:
पहले महीने 50 गुना किराया।
दूसरे महीने 100 गुना।
तीसरे महीने 200 गुना।
चौथे महीने से 400 गुना तक पीनल रेंट।
हुड्डा जी ने ढाई महीने बीत जाने के बावजूद कोठी खाली नहीं की। अब 2 लाख रुपये का जुर्माना लग चुका है। सरकार का कहना है कि अगर वह जल्द कोठी खाली नहीं करते, तो यह रकम “आसमान छूने” में देर नहीं लगाएगी।
“सरकारी मकान” का मोह छोड़ने में दिक्कत क्यों?
राजनीति में “सरकारी मकान” का मोह ऐसा है कि बड़े से बड़ा नेता इसे छोड़ने में “100 बहाने” ढूंढ लेता है। हुड्डा साहब का मामला भी कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है। चुनाव हारने के बाद भी वह उम्मीद कर रहे थे कि पुरानी “पोजीशन” उन्हें वापस मिल जाएगी। लेकिन नई सरकार ने “नो एक्सटेंशन, नो बहाना” की नीति अपनाई और अब पीनल रेंट ठोक दिया।