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Wheat Price : गेहूं की कीमतों में उछाल से बिगड़ा रसोई का बजट, रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा कणक का भाव

पिछले कुछ महीनों से (Months) लगातार गेहूं के दाम (Wheat Prices) आसमान छू रहे हैं। इसका असर हर घर के किचन पर साफ देखा जा सकता है।

Wheat price hike : गेहूं की बढ़ती कीमतों ने आटे, ब्रेड और बिस्किट जैसे उत्पादों के दामों को भी बढ़ा दिया है। आम जनता के लिए रसोई का खर्च संभालना मुश्किल होता जा रहा है। भारत के कई हिस्सों में गेहूं अब न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से दोगुने दाम पर बिक रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी दिनों में भी गेहूं के रेट और बढ़ सकते हैं।

गेहूं एमएसपी से दोगुने रेट पर बिक रहा

देशभर के प्रमुख मंडियों में गेहूं के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। इससे किसानों और व्यापारियों की आमदनी तो बढ़ी है, लेकिन आम जनता के लिए यह किसी मुसीबत से कम नहीं है। आटा मिलों में गेहूं (Wheat Stock) की आपूर्ति सीमित होने से उत्पादक लागत बढ़ गई है, जिसका सीधा असर खुदरा महंगाई (Retail Inflation) पर पड़ रहा है।

सरकारी कदम नाकाफी साबित

सरकार ने गेहूं के दामों पर काबू पाने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। दिसंबर में एफसीआई (FCI) द्वारा गेहूं का स्टॉक बाजार में उतारने और स्टॉक लिमिट (Stock Limit) घटाने जैसे कदम उठाए गए। लेकिन इससे कीमतों में कोई खास सुधार नहीं हुआ। निजी कारोबारियों के पास स्टॉक सीमित होने के कारण सरकार के फैसले का असर कम नजर आ रहा है।

गेहूं का उत्पादन और आपूर्ति

मार्च 2025 तक रबी सीजन के लिए सरकार ने 25 लाख टन गेहूं की बिक्री की योजना बनाई है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह मात्रा पर्याप्त नहीं है। 2024 के शुरुआती महीनों में गेहूं की नई फसल आने तक कीमतों में कमी की उम्मीद कम है।

प्रमुख मंडियों में गेहूं के दाम (Wheat Rate Today)

  • गुना मंडी (मध्य प्रदेश): ₹5080 प्रति क्विंटल
  • इंदौर मंडी (मध्य प्रदेश): ₹2790 प्रति क्विंटल
  • अशोकनगर मंडी (मध्य प्रदेश): ₹4800 प्रति क्विंटल
  • जयपुर मंडी (राजस्थान): ₹2705 प्रति क्विंटल
  • उदयपुर मंडी (राजस्थान): ₹3230 प्रति क्विंटल
  • लखनऊ मंडी (उत्तर प्रदेश): ₹2900 प्रति क्विंटल

बढ़ते दामों का असर

बढ़ती कीमतों का असर सिर्फ आटा और ब्रेड तक सीमित नहीं है। फूड इंडस्ट्री में गेहूं से बने उत्पादों के दाम भी बढ़ गए हैं। छोटे कारोबारी और रेस्टोरेंट मालिक भी बढ़ी हुई कीमतों का बोझ झेल रहे हैं।

विशेषज्ञों की राय

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार एफसीआई (Food Corporation of India) से बड़े पैमाने पर गेहूं बाजार में उतारे और सस्ते दरों पर बेचे तो स्थिति में सुधार हो सकता है। जब तक ऐसा नहीं होगा कीमतों पर लगाम लगाना मुश्किल है।

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