क्या आप भी कमाते है महीने के 50000 रुपये, तो आपकी कमाई में से सरकार को देना होगा इतना Tax ?
अधिकतर लोग अपनी टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं लेकिन अगर आप खुद इसे समझ लें तो काफी फायदा हो सकता है। आइए, जानते हैं कि 50 हजार रुपये तक की कमाई पर आपको कितना टैक्स देना होगा और कैसे आप टैक्स में छूट पा सकते हैं।
आजकल नौकरीपेशा लोगों को अपनी आय और उस पर लगने वाले टैक्स (Tax) के बारे में पूरी जानकारी होना बेहद जरूरी है। खासकर, उन लोगों के लिए जो अपनी आय पर टैक्स छूट (Tax Exemption) लेना चाहते हैं यह समझना जरूरी है कि टैक्स कैलकुलेशन (Tax Calculation) कैसे करना है और किन नियमों का पालन करना है। अधिकतर लोग अपनी टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं लेकिन अगर आप खुद इसे समझ लें तो काफी फायदा हो सकता है। आइए, जानते हैं कि 50 हजार रुपये तक की कमाई पर आपको कितना टैक्स देना होगा और कैसे आप टैक्स में छूट पा सकते हैं।
टैक्स छूट के लाभ के लिए जरूरी है यह जानना
टैक्स में छूट (Tax Exemption) का लाभ उठाने के लिए आपको अपनी इनकम (Income) की सही कैलकुलेशन करनी होगी। टैक्सपेयर्स को यह समझना जरूरी है कि वे कौन से आय स्रोत (Income Source) से आय प्राप्त कर रहे हैं और उन पर कितना टैक्स लगेगा। अगर आपको टैक्स में छूट का लाभ चाहिए तो आपको यह जानना आवश्यक है कि कौन-कौन सी इनकम पर टैक्स छूट मिलती है। उदाहरण के तौर पर, अगर आपकी आय हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) या स्टैंडर्ड डिडक्शन से है तो इन पर टैक्स में छूट मिलती है। इन सब चीजों को समझकर आपको अपनी टैक्सेबल इनकम (Taxable Income) कम करने का मौका मिलता है।
ग्रॉस सैलरी की कैलकुलेशन कैसे करें?
टैक्स की कैलकुलेशन (Tax Calculation) शुरू करने से पहले आपको अपनी ग्रॉस सैलरी (Gross Salary) का हिसाब लगाना जरूरी है। यदि आप एक सैलरी कर्मचारी हैं और विभिन्न स्रोतों से कमाई कर रहे हैं तो आपको इन सभी आय के स्रोतों को जोड़कर अपनी कुल आय की गणना करनी चाहिए। यदि आपकी आय सैलरी से है तो बेसिक सैलरी (Basic Salary), भत्ते (Allowances), बोनस (Bonus) आदि को जोड़कर अपनी ग्रॉस सैलरी की सही जानकारी प्राप्त करें।
टैक्स छूट का नियम
टैक्स छूट के लाभ के लिए आपको यह भी जानना होगा कि कौन-कौन से लाभों पर छूट मिल सकती है। उदाहरण के लिए, हाउस रेंट अलाउंस (HRA), लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA), स्टैंडर्ड डिडक्शन आदि, इन सभी को आपकी ग्रॉस सैलरी से घटाया जाता है। यदि आप इनमें से कोई भी लाभ ले रहे हैं तो अपनी इनकम में इनको जोड़ने की जरूरत नहीं है। इसके बाद, आप अपनी टैक्स छूट का पूरा फायदा उठा सकते हैं और अपनी टैक्सेबल इनकम को कम कर सकते हैं।
कटौती का नियम
अब जब आपने अपनी ग्रॉस सैलरी से टैक्स छूट के लाभ हटा दिए हैं तो आप टैक्स कटौती (Tax Deduction) के लाभ के लिए भी प्रयास कर सकते हैं। जैसे कि पीएफ (PF), इंश्योरेंस (Insurance), होम लोन (Home Loan) आदि में निवेश करके आप अपनी टैक्सेबल इनकम को कम कर सकते हैं। इसके लिए आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 80C, 80D जैसे प्रावधानों के तहत छूट मिलती है। अगर आप स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance) के प्रीमियम का भुगतान करते हैं तो इसकी कटौती भी हो सकती है।
इनकम टैक्स कैलकुलेशन का तरीका
आपको अपनी टैक्सेबल इनकम का हिसाब लगाने के लिए सबसे पहले अपनी ग्रॉस सैलरी से सभी प्रकार के टैक्स छूट और कटौतियां घटानी होंगी। इसके बाद आप टैक्स स्लैब (Tax Slabs) के आधार पर अपनी टैक्सेबल इनकम पर टैक्स की राशि तय कर सकते हैं। अगर आप नए टैक्स रीज़ीम (New Tax Regime) के तहत टैक्स भरते हैं तो 7 लाख रुपये तक की सालाना आय पर आपको टैक्स की छूट मिलती है। वहीं, पुराने टैक्स रीज़ीम (Old Tax Regime) के तहत 5 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है।
रिफंड पाने का तरीका
यदि आपकी ग्रॉस सैलरी कम होने के बावजूद टैक्स काट लिया गया है तो आप इसे रिफंड (Refund) के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपनी आयकर रिटर्न (Income Tax Return) भरनी होगी और रिफंड के लिए क्लेम करना होगा। कुछ समय बाद यह रिफंड आपकी बैंक अकाउंट में जमा कर दिया जाएगा।